इस कहानी का किसी जीवित या मृत या जाती धर्म या सम्प्रदाय या क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है। कहानी के सिर्फ पात्र है। ये कहानी सिर्फ शिक्षा या मनोरंजन के लिए बनाया गया है।
आमतौर पर लोग वही देखते हैं जो आंखों के सामने घटित होता है। पर ये सच भी नहीं होता है। कभी कभी ये आंखे भी मनुष्य को धोखा दे जाता है। आंखो के सामने घटित होने वाला सारा घटना सही भी नहीं होता है उसके पीछे की कहानी कुछ और ही होता है। ये आप लोग भी अपने जीवन में कई बार देखे होंगे।
आंखों के सामने कोई घटना घटित होता है तो मनुष्य उसे सच मानकर तुरंत ही उसपर अपना प्रतिक्रिया या अपना विचार प्रकट कर देता है बिना सोच विचार किए बिना और वहीं आगे चलकर मनुष्य को उसके दुख का कारण बन जाता है।
चलते है इसे एक कहानी से समझने की कोशिश करते है।
एक राजा है। वह बहुत ही दयालु और नेक इंसान है। उसकी ख्याति बहुत दूर दूर तक फैला हुआ है।
राजा का एक वफादार कुता है। राजा उसे अपने दिलों जान से भी ज्यादा मानता है। उसे बहुत ही मन सम्मान दिया जाता है उसके महल में। राजा का कुता भी राजा का काम जो भी होता है बहुत ही वफादारी से करता है। ऐसे भी हमलोग जानते ही है कि कुता बहुत ही वफादार जानवर होता है। उसकी बफादारी पर कोई शक नहीं किया जा सकता है।
राजा का एक शौक है कि वो हमेशा शिकार करने जंगल में जाता है। जब राजा शिकार करने जंगल में जाता है तो उसके साथ में उसका वफादार कुता भी साथ में जाता है और कुता राजा को शिकार करने में मदद करता है।
शिकार करने के समय में राजा पर कोई किसी तरह का हमला जानवर करता तो वो बफ़ादर कुता पहले ही समझ जाता और राजा को बताकर उसे बचा लेता। शिकार करने के बाद जो भी शिकार करता उसे राजा और उसका कुता आपस में मिलकर आग में पकाकर खा लेते और फिर दोनों वापस महल चल आते। ये लगभग दिनचर्या बन गया था।
बरसात की उमस भरी गर्मी है। आज भी राजा और उसका बफादार कुता जंगल में शिकार में निकला है। बरसात की गर्मी बहुत ही खराब होता है। उसमें भी जंगल का रास्ता कीचड़ से भरा हुआ। पर जानते है न कि शौक बड़ी चीज होती है। राजा इन परेशानियों से निकलकरभाने जंगल में जाता है और शिकार की खोज करने लगता है। एक शिकार राजा को दिखाई दिया। राजा उसके पीछे पीछे चलने लगता है। पर शिकार बहुत ही चालक था। राजा के हाथ नहीं लग रहा था और नहीं कोई हथियार उस पर कम कर रहा था। राजा उमस भरी बरसात की गर्मी में पसीना से लतपथ था और शिकार के पीछे लगा हुआ था। उसका कुता भी इस दौरान कही भटक गया था। बरसात में जब आदमी गर्मी से परेशान होता है तो उसे तेज की प्यास लगता है। राजा को अब तेज प्यास लगती है। राजा पानी की तलाश करने लगता है। पर कही भी पानी नहीं दिखाई देता है। राजा का कंठ अब सूखने लगता है। राजा हार मानकर मानो बेहोश होकर किसी पहाड़ी के नीचे लेट जाता है। तभी उसके माथे पर पानी की एक बूंद गिरता है। अब राजा को उम्मीद की किरण दिखाई देने लगता है कि चलो अब पानी पीने का इंतजाम हो जाएगा। वो पानी की बंद लगातार टप टप कर पहाड़ी से नीचे गिर रहा था। राजा अब एक ग्लास निकलता है और पानी की बंद जो पहाड़ी से नीचे गिर रहा था ग्लास में जमा करना शुरू कर देता है। अब ग्लास भरने बाला है राजा जल्दी से अब वो पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेना चाहता है। अब राजा पानी पीने के लिए अपना हाथ ग्लास के साथ पीने जा रहा है तभी उसका बफादार कुता अचानक से राजा के हाथ पर आक्रमण करके उसका पानी का ग्लास गिरा देता है। राजा को बहुत गुस्सा आता है और अपनी तलवार निकलकर अपना वफादार कुता को मार देता है। थोड़ी देर के बाद जब राजा का गुस्सा शांत होता है तो सोचता है कि आखिर में ये मेरा वफादार कुता था क्यों ऐसा किया होगा। अब राजा उसकी पड़ताल करना शुरू करता है। राजा सोचता है कि जरूर ये पानी की बूंद में रहस्य है। इसका पता करते है। अब राजा धीरे धीरे उस पानी की बूंद की तरफ चलना शुरू करता है। आखिर राजा उस जगह पर पहुंच ही गया जहां से वि पानी की बूंद आ रही थी। वहां का नजारा देखकर राजा के होश उड़ गया। एक विशाल काय अजगर मरा हुआ है। लगता है कई डर मरे हुए हो गया है। अब वो अजगर मर कर सद रहा है। सड़ने से उसके शरीर से पानी निकल रहा है। अब राजा को सारी बातें साफ दिखाई देने लगी कि जो पानी में ग्लास में जमा किया था वो इसी मरे अजगर के शरीर का था। यदि मेरा बफादार कुता यदि मेरा ग्लास नहीं गिराता और वो पानी में पी जाता तो मैं मर जाता। मेरा वफादार कुता मेरी जान बचा गया। अब राजा को काफी पछतावा हो रहा था कि मैं बेवजह ही बिना सोचे समझे अपना वफादार कुता को मार दिया। लेकिन अब पछताने से क्या होगा। अब दुखी मन से राजा अपना वफादार कुता खोकर महल लौट आता है।
अब दूसरी कहानी की तरफ चलते है।
एक बहुत बड़ा राजा है। उसकी ख्याति बहुत दूर दूर तक फैला है। वो पक्षियों का बहुत शौकीन है। वो तरह तरह का दुर्लभ पक्षी अपने महल में पाल रखे है। उन पंछियों का राजा बहुत ही ख्याल रखता है
इन पक्षियों में एक तोता है जो कि बहुत मधुर बोलता है। ये तोता राजा का प्यारा तोता है। जो भी इस महल में आता तोता अपनी मधुर वाणी से सबका स्वागत करता। ये तोता पूरे राज्य में आकर्षण का केंद्र बन गया था। बहुत ही खूबसूरत तोता था।
बहुत दिनों से तोता महल में था तो उसका मन अब गया था। तोता राजा से कहता है कि मुझे कुछ दिन के लिए अपने घर जाना है और मेरा जन्मदिन भी आ रहा है। अतः मैं अपने मां बाप और भाई बहन के साथ अपना जन्म दिन मानना चाहता हु। तोता बहुत जिद करता है तो राजा तोता को अपने परिवार से मिलने जाने की अनुमति दे देता है। पर राजा ये भी निर्देश देता है कि जल्दी ही वो महल वापस आ जाए।
तोता का मां बाप और भाई बहन हिमालय के पर्वत पर निवास करता है। तोता राजा के यहां से निकलकर धीरे धीरे अपने मां बाप के पास पहुंच जाता है। सभी लोग बहुत खुश होते है। समय बीतता जाता है।
जैसा कि सभी लोग जानते है कि हिमालय पर्वत पर एक से बढ़कर एक जड़ी बूटी औषधि और न जाने कितने चमत्कारी फलदार पेड़ उपलब्ध है। हिमालय पर्वत इन चीजों का खान है।
तोता को एक रहस्यों फल का पता चलता है। तोता को अब राजा के पास वापस आने का समय नजदीक चला आ रहा था। तोता सोचता है कि इन रहस्यमय फल को अपने राजा के लिए चलते है। राजा बहुत खुश होगा और राजा का कल्याण होगा। तोता वो रहस्यमई फल लेकर राजा के महल में पहुंचता है और राजा को खाने के लिए देता है और उसका गुण बताता है। पर मंत्री राजा के ये कहकर मना कर देता है कि इसे पहले कुता को खिलाकर देखा जाए। हो सकता है कि तोता किसी दुश्मन से मिलकर आया हो और आपका नुकसान हो जाए। हो सकता है कि इस फल में जहर भरा हुआ हो।
एक पुरानी कहावत है कि जिसका जैसा मंत्री होता है उसी तरह से उस राज्य का विकास होता है। यदि आप जिससे सलाह लेते है उसका आचरण व्यवहार विचार कैसा है। उसपर सारा दामोदर निर्भर करता है आपका विकास का। यदि आपका सलाहकार गलत रहा तो हो सकता है कि आप का परिवार गांव मोहल्ला या राज्य बर्बाद हो सकता है या आबाद हो सकता है । अतः अपना सलाहकार सही आदमी को रखे।
आज गिरते मानव मूल्य में जहां संस्कार अतिथि और परिवार समाज का मूल्य समाप्त होता जा रहा है उसके पीछे कही न कही सलाहकार की भूमिका संदेहास्पद मालूम होता है। जहां आज भी अच्छे मंत्री या सलाहकार है जो समाज या मानव को विकास की ओर अग्रसर ले जा रहे है वहीं कुछ लोग नरक की तरफ भी ले जाने की कोशिश कर रहे है।
उस फल का कुछ भाग मंत्री राजा के सामने एक कुता को खिलाता है। फल खाने के बाद कुता तुरंत मर जाता है। मंत्री की चालाकी यहां काम कर जाता है। राजा मंत्री पर बहुत खुश होता है और तोते पर बहुत गुस्सा होता है अपनी तलवार निकलकर तोते को राजा मर देता है। राजा मंत्री को आदेश देता है कि इस जहरीले फल को महल से बाहर फेक दिया जाए। फल महल ले बाहर फेक दिया गया।
समय बीतता जाता है। कुछ दिनों बाद उस फल से एक पौधा निकलता है। इसका संदेश राजा के पास जाता है। राजा पूरे राज्य में ये खबर देता है कि वो जहरीला पेड़ है उसके पास कोई न जाए। समय के साथ अब उस पेड़ में अब फल लगना शुरू हो गया है।
उस जहरीले नाम के पेड़ के पास डर से कोई आता जाता नहीं था। एक पथिक जो दूसरे राज्य से आज ही राजा मिलने आया है पैदल चलने के कारण थक गया था। वो पथिक काफी दुबला पतला और बुजुर्ग था। काफी भूखा भी लग रहा था। वो पथिक अब उसी पेड़ के पास आराम करने लगता है। आस पास के लोग ये नजारा देख रहे थे पर किसी का हिम्मत नहीं था कि उस पेड़ के पास जाकर उसे रोके। अब पथिक देखता है कि वहां काफी सारे फल गिरे हुए है। अब उस फल को पथिक खाने लगता है। देखते देखते वो बुजुर्ग पथिक अब जवान हो गया और काफी शक्तिशाली हो गया। ये नजारा देखकर आस पास के लोग राजा के पास जाते है और सारा कहानी बताता है।
राजा अब इसकी इंक्वायरी करना शुरू करता है। पता चलता है कि तोता सही में एक रहस्यमई फल लाया था। हुआ वो था कि तोता आने से पहले फल को अपने घर पर रखा था पर एक जहरीले सांप ने उसे खाकर उस फल को जहरीला कर दिया था। जो तोता को मालूम नहीं था। तोता अनभिज्ञ था। इसमें तोते का कोई दोष नहीं था। राजा कहता है कि मैं बिना सोचे समझे कि अपना प्रिय तोता को मार दिया। राजा काफी दुखी रहने लगा।
शिक्षा:-
इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि कोई भी मनुष्य अपने क्रोध में आकर बिना सोचे समझे किसी को सजा न दे या उसका जवाब न दे। उसकी गहराई तक जाकर आली गुनहगार कौन है। उसका पता करे और तब जाकर किसी गुनाहगार को सजा दे। नहीं तो निर्दोष आदमी सजा पा जाएगा जिसका आपको बाद में पछतावा होगा।
