भारत की राष्ट्रीय आय: एक विस्तृत विश्लेषण
भूमिका:-
राष्ट्रीय आय किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का मापन करने का एक प्रमुख संकेतक है। यह एक निश्चित समय अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। भारत, जो कि विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, की राष्ट्रीय आय का अध्ययन करना न केवल इसकी आर्थिक प्रगति को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि नीतिगत निर्णयों के लिए भी आवश्यक है।
राष्ट्रीय आय का अर्थ:-
राष्ट्रीय आय (National Income) का अर्थ है, किसी देश में एक वर्ष के दौरान उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य। इसे विभिन्न तरीकों से मापा जाता है, जैसे कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP), सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP), और शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP)।
राष्ट्रीय आय को मापने की विधियाँ:-
भारत में राष्ट्रीय आय को मापने के लिए तीन प्रमुख विधियाँ अपनाई जाती हैं:-
उत्पादन विधि (PRODUCTION METHOD):-
इस विधि में किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य की गणना की जाती है। इसमें निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं:-
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र:-
इसमें फसल उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन, वानिकी आदि शामिल होते हैं।
उद्योग क्षेत्र:-
विनिर्माण, खनन, विद्युत उत्पादन एवं निर्माण उद्योग इस श्रेणी में आते हैं।
सेवा क्षेत्र:-
बैंकिंग, बीमा, व्यापार, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सेवाएँ इस श्रेणी में आती हैं।
मूल्य वर्धन:-
प्रत्येक स्तर पर जोड़ा गया अतिरिक्त मूल्य उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमत निर्धारित करता है।
अंतिम उत्पादों की गणना:-
केवल अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य गिना जाता है ताकि दोहरी गणना से बचा जा सके।

आय विधि (INCOME METHOD):-
इस विधि में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से उत्पन्न आय को जोड़ा जाता है। इसमें निम्नलिखित घटक शामिल होते हैं:-
मजदूरी एवं वेतन:-
इसमें संगठित और असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी और वेतन शामिल होते हैं।
किराया:-
भूमि और भवन स्वामियों को प्राप्त किराया इस श्रेणी में आता है।
ब्याज:-
बैंक, वित्तीय संस्थाएँ और व्यक्तियों द्वारा प्राप्त किया गया ब्याज।
लाभ:-
विभिन्न उद्यमों और कंपनियों द्वारा अर्जित किया गया लाभ।
स्वरोजगार से प्राप्त आय:-
इसमें छोटे व्यापारियों, कारीगरों, किसानों आदि की आय शामिल होती है।
व्यय विधि (EXPENDITURE METHOD):-
इस विधि में विभिन्न आर्थिक संस्थाओं द्वारा किए गए कुल व्यय को जोड़ा जाता है। इसमें निम्नलिखित घटक शामिल होते हैं:-
उपभोग व्यय (CONSUMPTION EXPENDITURE):-
व्यक्तिगत और सरकारी उपभोग व्यय को शामिल किया जाता है।
निजी निवेश व्यय (PRIVATE INVESTMENT EXPENDITURE):-
निजी क्षेत्र द्वारा पूंजीगत वस्तुओं, मशीनरी और अन्य परिसंपत्तियों पर किया गया व्यय।
सरकारी व्यय (GOVERNMENT EXPENDITURE):-
सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं, रक्षा, अवसंरचना निर्माण और प्रशासन पर किया गया व्यय।
निर्यात–आयात संतुलन (NET EXPORTS):–
कुल निर्यात से कुल आयात को घटाने के बाद प्राप्त शुद्ध निर्यात का मूल्य।
PSU परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न:-
- राष्ट्रीय आय को मापने की प्रमुख विधियाँ कौन–कौन सी हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय आय को मापने के लिए तीन प्रमुख विधियाँ हैं: उत्पादन विधि, आय विधि और व्यय विधि। - राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का क्या योगदान है?
उत्तर: भारत की राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है, जिसमें बैंकिंग, बीमा, आईटी, स्वास्थ्य, और शिक्षा शामिल हैं। - GDP और GNP में क्या अंतर है?
उत्तर: GDP (सकल घरेलू उत्पाद) किसी देश की भौगोलिक सीमाओं के भीतर उत्पन्न कुल उत्पादन को मापता है, जबकि GNP (सकल राष्ट्रीय उत्पाद) देश के नागरिकों द्वारा अर्जित कुल आय को मापता है, चाहे वह देश के भीतर हो या विदेश में। - राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र की भूमिका क्या है?
उत्तर: कृषि क्षेत्र राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण योगदान देता है, खासकर भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं में, जहां यह रोजगार और खाद्य आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है। - मुद्रास्फीति का राष्ट्रीय आय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: मुद्रास्फीति राष्ट्रीय आय के वास्तविक मूल्य को कम कर सकती है, जिससे क्रय शक्ति प्रभावित होती है। - राष्ट्रीय आय का उपयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर: यह नीति निर्माण, बजट निर्धारण और आर्थिक विकास का आकलन करने के लिए किया जाता है। - व्यय विधि में प्रमुख घटक क्या हैं?
उत्तर: उपभोग व्यय, निजी निवेश व्यय, सरकारी व्यय और शुद्ध निर्यात। - प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर का राष्ट्रीय आय पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: प्रत्यक्ष कर आय वितरण को प्रभावित करता है, जबकि अप्रत्यक्ष कर उपभोग पैटर्न को प्रभावित करता है। - राष्ट्रीय आय में संगठित और असंगठित क्षेत्र का योगदान क्या है?
उत्तर: संगठित क्षेत्र का योगदान अधिक पारदर्शी होता है, जबकि असंगठित क्षेत्र का योगदान सटीक रूप से मापना कठिन होता है। - भारत में राष्ट्रीय आय की गणना कौन करता है?
उत्तर: केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) भारत में राष्ट्रीय आय की गणना करता है। - राष्ट्रीय आय की गणना में किस प्रकार के उत्पादन को शामिल किया जाता है?
उत्तर: केवल अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल किया जाता है, जिससे दोहरी गणना से बचा जा सके। - भारत में राष्ट्रीय आय का पहला आकलन किसने किया था?
उत्तर: भारत में राष्ट्रीय आय का पहला आकलन दादाभाई नौरोजी ने किया था। - राष्ट्रीय आय में अप्रत्यक्ष करों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: अप्रत्यक्ष करों को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में जोड़ा जाता है, जबकि सब्सिडी को घटाया जाता है। - राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में क्या अंतर है?
उत्तर: राष्ट्रीय आय देश की कुल आय होती है, जबकि प्रति व्यक्ति आय इसे जनसंख्या के आधार पर विभाजित करके प्राप्त की जाती है। - राष्ट्रीय आय में ‘ब्लैक इकोनॉमी‘ का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: काले धन की वजह से वास्तविक राष्ट्रीय आय का सही अनुमान लगाना कठिन हो जाता है। - भारत में राष्ट्रीय आय की गणना कितनी बार की जाती है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रीय आय की गणना वार्षिक आधार पर की जाती है। - राष्ट्रीय आय में स्थिर मूल्य और चालू मूल्य में क्या अंतर है?
उत्तर: स्थिर मूल्य पर राष्ट्रीय आय मुद्रास्फीति के प्रभाव को हटाकर मापी जाती है, जबकि चालू मूल्य पर राष्ट्रीय आय मौजूदा कीमतों पर आधारित होती है। - किस सेक्टर का योगदान भारत की राष्ट्रीय आय में सबसे अधिक है?
उत्तर: सेवा क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक है। - राष्ट्रीय आय में विदेशी निवेश का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: विदेशी निवेश GDP को बढ़ाता है, जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। - राष्ट्रीय आय में असंगठित क्षेत्र का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर: असंगठित क्षेत्र का मापन सर्वेक्षणों और सांख्यिकीय विधियों के माध्यम से किया जाता है। - क्या राष्ट्रीय आय में घरेलू कार्यों की आय जोड़ी जाती है?
उत्तर: नहीं, क्योंकि घरेलू कार्यों की कोई मौद्रिक लेन-देन नहीं होती है। - क्या बेरोजगारी का राष्ट्रीय आय पर प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: हाँ, अधिक बेरोजगारी होने पर राष्ट्रीय आय कम होती है क्योंकि उत्पादकता घटती है। - राष्ट्रीय आय की गणना के लिए कौन–सा वर्ष आधार वर्ष माना जाता है?
उत्तर: वर्तमान में भारत 2011-12 को आधार वर्ष मानकर राष्ट्रीय आय की गणना करता है। - राष्ट्रीय आय के आकलन में सकल पूंजी निर्माण क्या दर्शाता है?
उत्तर: यह अर्थव्यवस्था में निवेश की गई कुल पूंजी को दर्शाता है। - भारत में राष्ट्रीय आय के प्रमुख स्रोत कौन–कौन से हैं?
उत्तर: कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र। - राष्ट्रीय आय में सरकारी व्यय की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: सरकारी व्यय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है और GDP में योगदान करता है। - क्या राष्ट्रीय आय को आर्थिक विकास का संकेतक माना जा सकता है?
उत्तर: हाँ, लेकिन इसके साथ अन्य कारकों जैसे कि जीवन स्तर, बेरोजगारी दर आदि को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। - भारत में राष्ट्रीय आय का आंकलन किस संगठन द्वारा किया जाता है?
उत्तर: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)। - GDP डिफ्लेटर क्या होता है?
उत्तर: यह नाममात्र GDP और वास्तविक GDP के बीच अनुपात को दर्शाता है, जिससे मुद्रास्फीति का प्रभाव समझा जा सकता है। - राष्ट्रीय आय में FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का क्या योगदान होता है?
उत्तर: यह पूंजी प्रवाह बढ़ाकर उत्पादन और रोजगार के अवसर बढ़ाता है, जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।
- राष्ट्रीय आय की गणना में प्रत्यक्ष करों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: प्रत्यक्ष करों को घटाने के बाद हमें व्यक्तिगत डिस्पोजेबल आय प्राप्त होती है, जो उपभोग और बचत को प्रभावित करती है। - राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान कितना होता है?
उत्तर: भारत की राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग 55-60% तक होता है। - राष्ट्रीय आय के प्रमुख घटकों में निवेश का महत्व क्या है?
उत्तर: निवेश से उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होती है, जिससे राष्ट्रीय आय बढ़ती है। - राष्ट्रीय आय में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: अनौपचारिक क्षेत्र का योगदान महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसका सटीक मापन चुनौतीपूर्ण होता है। - क्या मुद्रास्फीति का राष्ट्रीय आय पर प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: हाँ, मुद्रास्फीति से वास्तविक राष्ट्रीय आय कम हो सकती है, जिससे क्रय शक्ति प्रभावित होती है। - राष्ट्रीय आय में अप्रत्यक्ष करों का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: अप्रत्यक्ष करों को जोड़ने से GDP का नाममात्र मूल्य बढ़ता है, लेकिन शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद (NNP) की गणना में इसे घटा दिया जाता है। - क्या GDP में केवल घरेलू उत्पादन शामिल होता है?
उत्तर: हाँ, GDP में केवल देश के भीतर उत्पादित वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल होती हैं, चाहे वे देशी कंपनियों द्वारा हों या विदेशी कंपनियों द्वारा। - राष्ट्रीय आय में मुद्रा स्फीति का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: मुद्रा स्फीति से वास्तविक GDP कम हो सकती है क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। - राष्ट्रीय आय के आकलन में विनिमय दरों की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: विनिमय दरें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विदेशी निवेश को प्रभावित करती हैं, जिससे GDP और GNP में परिवर्तन होता है। - क्या राष्ट्रीय आय में काले धन को जोड़ा जाता है?
उत्तर: नहीं, क्योंकि काले धन का आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता है। - राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में क्या अंतर है?
उत्तर: राष्ट्रीय आय देश की कुल आय होती है, जबकि प्रति व्यक्ति आय को कुल जनसंख्या से विभाजित करने पर प्राप्त किया जाता है। - राष्ट्रीय आय में सरकारी सब्सिडी का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: सरकारी सब्सिडी से राष्ट्रीय आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि इससे उत्पादों और सेवाओं की लागत कम होती है। - क्या GDP और GNP समान हैं?
उत्तर: नहीं, GDP में केवल घरेलू उत्पादन शामिल होता है, जबकि GNP में विदेशों में अर्जित आय भी शामिल होती है। - राष्ट्रीय आय का सबसे सटीक मापन कौन–सी विधि से होता है?
उत्तर: आय विधि, क्योंकि इसमें सभी स्रोतों से प्राप्त आय को जोड़ा जाता है। - क्या GDP और NNP में कोई अंतर है?
उत्तर: हाँ, NNP को प्राप्त करने के लिए GDP से मूल्यह्रास (Depreciation) घटाया जाता है। - राष्ट्रीय आय की गणना के लिए कौन–सा दृष्टिकोण सबसे अच्छा है?
उत्तर: यह निर्भर करता है कि अर्थव्यवस्था का कौन-सा क्षेत्र मजबूत है; सेवा आधारित अर्थव्यवस्था के लिए आय विधि और उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादन विधि उपयुक्त होती है। - क्या प्रवासी भारतीयों की आय राष्ट्रीय आय में जोड़ी जाती है?
उत्तर: नहीं, प्रवासी भारतीयों की आय GNP में जोड़ी जाती है, लेकिन GDP में नहीं। - क्या CSR (Corporate Social Responsibility) व्यय राष्ट्रीय आय में शामिल होता है?
उत्तर: हाँ, क्योंकि यह व्यय अर्थव्यवस्था के भीतर होता है और GDP में जोड़ा जाता है। - राष्ट्रीय आय के लिए कौन–सा मापक अधिक उपयुक्त है – GDP या GNP?
उत्तर: यह देश की अर्थव्यवस्था की प्रकृति पर निर्भर करता है; यदि विदेशी निवेश अधिक है, तो GNP अधिक उपयुक्त होता है। - राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान कितना है?
उत्तर: लगभग 16-18% (हालांकि यह समय के साथ बदल सकता है)। - क्या सभी वस्तुएँ और सेवाएँ राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल होती हैं?
उत्तर: नहीं, केवल अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल की जाती हैं, मध्यवर्ती वस्तुओं को नहीं गिना जाता। - GDP और GVA (Gross Value Added) में क्या अंतर है?
उत्तर: GVA किसी उद्योग द्वारा उत्पन्न शुद्ध मूल्य को दर्शाता है, जबकि GDP पूरे देश की आर्थिक गतिविधियों का मापन करता है। - क्या सरकारी पेंशन राष्ट्रीय आय में शामिल होती है?
उत्तर: नहीं, क्योंकि यह एक ट्रांसफर भुगतान होता है, जो उत्पादक गतिविधि से नहीं जुड़ा होता। - क्या NNP (Net National Product) और NDP (Net Domestic Product) समान हैं?
उत्तर: नहीं, NNP में विदेशी कारकों को शामिल किया जाता है, जबकि NDP केवल घरेलू उत्पाद को दर्शाता है। - राष्ट्रीय आय में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर: FDI से GDP बढ़ती है क्योंकि यह देश के भीतर उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा देता है। - क्या मुनाफे का पुनर्निवेश राष्ट्रीय आय का हिस्सा है?
उत्तर: हाँ, क्योंकि यह निवेश और उत्पादन में योगदान करता है। - राष्ट्रीय आय की गणना में आयात का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: आयात को GDP से घटाया जाता है क्योंकि यह घरेलू उत्पादन का हिस्सा नहीं होता। - क्या स्वयंसेवा (Volunteer Services) राष्ट्रीय आय में गिनी जाती हैं?
उत्तर: नहीं, क्योंकि ये अनौपचारिक सेवाएँ होती हैं और आर्थिक लेन-देन का हिस्सा नहीं बनतीं। - राष्ट्रीय आय पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव हो सकता है?
उत्तर: प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से कृषि और औद्योगिक उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे राष्ट्रीय आय प्रभावित हो सकती है। - क्या अनौपचारिक क्षेत्र की आय GDP में शामिल होती है?
उत्तर: हाँ, लेकिन इसकी गणना करना कठिन होता है क्योंकि यह संगठित आँकड़ों में शामिल नहीं होता।
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