मुसीबत का सामना

एक गांव में एक मजदूर रहता था। वो अक्सर शहर में काम करने जाया करता था। शाम को जो मजदूरी मिलता उसी से उसका घर का चूल्हा चौका चलता था।उसके परिवार में दो बच्चे और पत्नी थी।

मजदूर काफी मेहनती था। शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और चालाक भी था।

शाम को जब काम खत्म हुआ तो मजदूर अपने घर लौटने लगता है। शहर और गांव के बीच में काफी दूरी था।

बीच में घनघोर जंगल था।

उस रास्ते पर कोई और नहीं दिखाई दे रहा था। रास्ता बिल्कुल सुनसान था। एक गजब का डर सा लग रहा था। बीच बीच में जंगली जानवरों की आवाज लोगो को अचंभित कर दे रहा था। जब रास्ता सुनसान हो, अंधेरी रात हो और उस रास्ते पर जब कोई चलता है तो अपनी ही पद की आवाज एक डर सा माहौल पैदा कर देता है। ऐसा लगता है कि उसका कोई पीछा कर रहा हो।

लेकिन मजदूर काफी साहसी था। उसके लिए ये दिनचर्या की बात थी और उसे कोई फर्क नहीं पर रहा था। वह अपना घर जल्दी से जल्दी पहुंच जाना चाहता था।वो लगातार चले जा रहा था।

इस धरती पर कुछ ऐसे भी लोग होते है जिनका कुछ मेहनत के कामों से कोई मतलब नहीं है। दूसरे के मेहनत की कमाई अपने गलत कर्मों से खाते है। जिसे समाज में चोर, डाकू या लुटेरा कहते है। ये हमेशा इसी ताक में रहते है कि किसके घर में डाका डालना है या किसे उसकी मेहनत की कमाई को लुट ले या बेइमानी का ले। इसे ही सभ्य समाज में चोर, लुटेरा या बेईमान कहते है।

अचानक मजदूर के सामने एक चोर अपनी हाथों में बंदूक लिए खड़ा हो जाता है और चोर मजदूर से कहता है कि आज जो कमाया है उसे हमे दे दो नहीं तो गोली मार देंगे। मजदूर को जो कुछ भी मजदूरी में मिलता उसे वो एक पोटली में बांध लेता और चलते समय अपने बाहों में दबाकर अपने घर चलता था। अचानक मजदूर चोर को देखा तो पाया कि चोर एकदम दुबला पतला है पर उसके हाथों में बंदूक है। जब अचानक मुसीबत आती है तो आदमी का दिमाग कम नहीं करता है और बहुत कुछ सोचने लगता है।

चोर बार बार मजदूर की तरफ बंदूक दिखाकर उसकी पोटली मांग रहा था। मजदूर भी अपनी जान बचाने के लिए अपनी पोटली मजदूर चोर को दे देता है।

अब वापस पोटली लेकर जाने लगता है। मजदूर चोर से बोलता है कि मेरा पोटली तो ले ही लिया है। अब मेरा एक काम कर दो। ये मेरी टोपी है इसमें अपनी बंदूक की गोली मारकर इस टोपी में छेद कर दो ताकि मेरी पत्नी को लगे की सही में चोरों में मेरे पति की पोटली और पैसे लुटे है नहीं तो वो समझेगी की मै शराब या जूए में पैसा बर्बाद कर दिया हु। इस पर चोर मजदूर की टोपी लेकर टोपी में एक गोली मारकर टोपी में छेद कर देता है और टोपी मजदूर को दे देता है। चोर मजदूर को कहता है कि अब खुश है ना। चोर अब आगे चलने लगता है।

मजदूर फिर चोर को बोलता है कि चोर साहब मेरा एक काम और कर दीजिए। ये मेरा कंबल है इसमें अपनी बंदूक से इसमें चार पांच गोली मारकर छेद कर दीजिए। ताकि मेरी पत्नी को लगे कि चोरों का गैंग ने मेरे पति को लुटा है। अमूमन मजदुर जब मजदूरी करने जाता है तो अपने पास एक कंबल अवश्य रखता है। अब चोर को और मजा आ रहा था। चोर मजदूर से कंबल लेकर चार पांच गोलियां मारता है और मजदूर को दे देता है। चोर मजदुर को कहता है अब खुश। चोर आगे चलने लगता है।

 मजदुर फिर चोर से बोलता है कि आप कितना साहसी और बलवान है। जबकि मुझे मेरे गांव वाले मुझे डरपोक, कमजोर और ना जाने क्या क्या कहते है। चोर साहब मेरा एक और आखरी काम कर दीजिए और अपना फतवा कोट चोर को मजदूर दे देता है और कहता है कि इसमें कम से कम दो तीन छेद गोली मारकर कर दीजिए। ताकि मेरे गांव वाले को लगे कि मैं डाकुओं से बहादुरी से लड़ा था।

गांव के लोग मुझे बहादुर समझने लगे।

इस पर चोर कहता है कि बस कर बंदूक में अब गोलियां खत्म हो गया है।

मजदूर कहता है कि मैं भी तो यही चाहता था।

मजदूर चोर से कहता है कि तुम्हारी ताकत सिर्फ ये बंदूक थी। वो भी अब इसमें गोलियां खत्म हो गई है। अब तुम्हारा मुझ पर कोई जोर नहीं चल सकता है।

मजदूर कहता है कि चुपचाप मेरी पोटली वापस दे दो। इसपर चोर चुपचाप मजदूर की पोटली वापस दे दिए।

मजदूर चोर को बहुत पिटाई करता है। चोर किसी तरह से अपनी जान बचाकर वहा से भाग जाता है।

आज मजदूर अपनी अक्ल का परिचय देकर अपनी जान और अपना पैसा बचा लिया। अतः मुसीबत में लोगों को अपनी अक्ल का परिचय देना चाहिए।

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