शुक्रिया

इस कहानी का किसी जीवित या मृत या जाती धर्म या सम्प्रदाय या क्षेत्र से कोई संबंध नहीं है। कहानी के सिर्फ पात्र है। ये कहानी सिर्फ शिक्षा या मनोरंजन के लिए बनाया गया है।

इस धरती पर सभी तरह के इंसान है। कोई बहुत धनी तो कोई बहुत गरीब। कोई बहुत निरोगी तो कोई बहुत ही बीमारू। कोई संघर्ष कर रहा है तो कोई बिना संघर्ष के ही सब पा रहा है। कोई खाने को मोहताज है तो कोई खा खा कर परेशान है। सभी के पास अपनी अपनी अलग अलग समस्याएं है।

पर ऊपर वाला या प्रकृति सब को कुछ न कुछ जरूर दिया है। फिर भी इंसान प्रकृति या ऊपर वाला का शुक्रिया अदा नहीं करता है।

गांव में एक बहुत ही उच्च कोटि के बाबा / संत / फकीर रहते थे। उनकी लोगो में मान्यता थी कि जब वो ध्यान लगते है तो ऊपर वाले से बात होती है। लोग अपनी अपनी समस्या उनको बताता था और वो ऊपर वाला से बात करके निदान प्रदान करता था।

बाबा सुबह उठकर घूमने जाया करते थे। गांव के लोगों से इसी बीच मुलाकात भी हो जाती थी। लोगो की समस्या भी सुनते और ऊपर वाले से जवाब लेकर दूसरे दिन उसका उपाय बताते। ये इनकी दिनचर्या था।

आज भी बाबा घूमने के लिए निकले है।

एक सेठ अपने तीन चार नौकर के साथ घूम रहा था। गले में सोने की सीकरी, अंगुलियों में तीन चार सोने की अंगुठी, इंपोर्टेड घड़ी पहने और महंगी मोबाइल लिए घूम रहा था। अचानक सेठ की नजर बाबा पर पड़ता है। बाबा सेठ से हालचाल पूछते है। सेठ बोलता है बाबा आपका तो ऊपर वाले से बात होती है। बाबा बोलते है हा होती है। सेठ बोलता है कि ऊपर वाले को बोलिएगा की अब वो मुझे कुछ न दे। बहुत दिया है। अब मैं सारी धन दौलत संभाल नहीं पा रहा हु। बहुत परेशान रहता हु। रात रात भर नहीं सो पाता हु कि कही कोई मेरा दौलत चोर न चोरी कर ले जाए। इसके कारण मैं अब तंग हो गया हु। मेरा हिस्सा अब किसी और को दे दे। बाबा बोलते है ठीक है मै बोल दूंगा। बाबा अब आगे चलने लगते है।

एक भिखारी सड़क पर भीख मांग रहा था। भिखारी बाबा को प्रणाम करता है। भिखारी बाबा से कहता है कि आपका ऊपर वाले से बात होती है। बाबा हा बोलते है। भिखारी बाबा से कहता है कि ऊपर वाले से बोलिएगा की हमे भी कुछ दे दे। हमे कया दिया। तन ढकने का पूरा कपड़ा तक नहीं दिया। पेट भरने का भरपूर भोजन नहीं दिया। रहने को घर नहीं दिया। मन सम्मान की तो बात ही नहीं है।लोग हमे अपने दरवाजे से भगा देते है। गालियां देते है। बाबा हा कहकर आगे चल देते है।

एक मिठाई वाला की दुकान बहुत ही मशहूर था। उसकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। काफी आमदनी हो रही थी। कई सारे खेत और दौलत इस दुकान से बना लिया था। पर अब उसकी दुकान पर कोई नहीं आ रहा था। मिठाई वाला दुकानदार बहुत परेशान था। बाबा को अचानक देखकर दुकानदार बाबा के चरणों में पर जाता है और सारी दुख भरी कहानी सुनता है। मिठाई वाला दुकानदार बाबा से कहता है कि बाबा ऊपर वाले से मेरी भी समस्या का निदान का रास्ता पूछिएगा। बाबा हा कहकर आगे चल देते है।

बेईमान आदमी था। वो भी बहुत परेशान रहता था। उसका कम था किसी से पैसे ले लेना और बेईमानी करके पैसे नहीं लौटता था। किसी की जमीन जायदाद रुपया पैसा घर की बेइमानी करना उसके बाई हाथ का खेल था। पर वो भी परेशान था। वो बाबा को देखता है तो अपनी परेशानी बाबा को बताता है और ऊपर वाले से बात करने बोलता है। बाबा हा कहकर आगे चल देते है।

एक बीमारू आदमी है। उसे तरह तरह के रोगों ने जकड़ रखा है। बीमारी के कारण वो बहुत परेशान है। बाबा को देखकर बीमारू आदमी बाबा को प्रणाम करके अपनी समस्या बाबा को बताता है और उसका निदान पाने के लिए ऊपर वाला से बात करने बोलता है। बाबा हा कहकर आगे चल देते है।

एक बेरोजगार आदमी है। काफी शिक्षित है, चालक भी है। वो लगभग सभी तरह के कम आजमा कर देख लिया पर किसी में टिक नहीं पाया और नतीजा यह है कि वो आज भी बेरोजगार है। काफी परेशान है। घर की दाल रोटी ठीक से नहीं चल पा रहा है। अचानक बाबा उसे दिखाई देते है। बाबा को बेरोजगार आदमी प्रणाम करता है। अपनी समस्या बताता है। वो इसका निदान पाने के लिए ऊपर वाले से बात करने को बोलता है बाबा को। बाबा हा कहकर आगे चल देते है।

अब बाबा अपने आश्रम में वापस आ जाते है। अपनी दिनचर्या शुरू करते है। अपनी दिनचर्या शुरू करते है।

अगले दिन फिर बाबा सुबह घूमने निकलते है। सबसे पहले सेठ मिलता है और बाबा से पूछता है कि मेरा ऊपर वाले से निदान पूछे बाबा। बाबा बोलते है कि ऊपर वाला बोला है कि जब तक तुम ऊपर वाला की शुक्रिया करता रहेगा तब तक मिलता रहेगा। तुम शुक्रिया करना बंद कर दो। ऊपर वाला देना बंद कर देगा। सेठ बोलता है कि ये तो नहीं हो सकता है। तो बाबा बोलते है कि तब ऊपर वाला तुमको धन दौलत देता रहेगा।

बाबा आगे चलते है।

आगे भिखारी मिलता है। बाबा से अपनी समस्या का समाधान पूछता है। भिखारी कहता है कि बाबा ऊपर वाले से बात हुई और उसने कया कहा। बाबा बोलते है कि ऊपर वाला बोला है कि मेरी शुक्रिया अदा करे मिलना शुरू हो जाएगा। इस पर भिखारी फिर से अपना फटेहाल का रोना रोता है। कहता ही कि किस बात की शुक्रिया। इस हालात को बनाने के लिए। मैं नहीं करूंगा ऊपर वाले की शुक्रिया। बाबा कहते है कि तब ऊपर वाला आपको कुछ नहीं देगा।

बाबा आगे चलते है।

मिठाई का दुकानदार बाबा का इंतजार कर रहा था। दुकानदार बाबा से अपनी समस्या का निदान पूछता है। बाबा बोलते है कि ऊपर वाला बोला है कि अपनी दुकान में मिलावट वाला सामान न बेचे। सब ग्राहक को शुद्ध समान बेचे। ईमानदारी से काम करे और ऊपर वाला का शुक्रिया अदा करे। कल्याण और मुनाफा होगा। नहीं तो अगली बार उसका दुकान भी न रहेगा।

बाबा आगे चल देते है।

बेईमान आदमी बाबा का इंतजार कर रहा था। बाबा को देखकर अपनी समस्या का समाधान पूछता है। बाबा बोलते है कि ऊपर वाला बोला है कि किसी के हिस्सा को न खाएं, चोरी करना बंद कर दे, झूठ बोलना बंद कर दे। ईमानदारी से मेहनत से कम करे और ऊपर वाला का शुक्रिया अदा करे। कल्याण होगा।

आगे चल देते है।

 बीमारू आदमी बाबा का इंतजार कर रहा था। बाबा को देखकर बीमारू आदमी बाबा से निदान पूछता है। बाबा बोलते है कि ऊपर वाला बोला है कि दिनचर्या का पालन करे। कठिन परिश्रम करे। खान पान पर ध्यान दे। योगा करे और ऊपर वाला का शुक्रिया करे। कल्याण होगा

बाबा आगे चल देते है।

अब बेरोजगार बाबा का इंतजार कर रहा था। वो बाबा से अपना निदान पूछता है। बाबा बोले कि ऊपर वाला बोला है कि कोई काम करने में मन लगाए। मेहनत और ईमानदारी से कम करे। कोई कम करने में शिकायत नहीं है। कोई कम शुरू करे तो जल्दी बंद न करे और ऊपर वाले का शुक्रिया करे। कल्याण होगा।

बाबा आगे चल देते है।

बहुत लोग रात को सोते है तो सुबह का सूरज नहीं देख पाते है।  सुबह जब उठे तो कुछ देर अपने को तारों ताजा करे। उसके बाद ऊपर वाला का शुक्रिया करे। तब अपनी दिनचर्या शुरू करे। आपका दिन मंगलमय होगा। ऊपर वाला कल्याण करेगा।

शैलेन्द्र कुमार वर्मा

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